Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

26 वर्ष तक चले गैर इरादतन हत्या के मामले में दो को सात वर्ष की कैद

कबीर बस्ती न्यूज:

बस्ती। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सुनील कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में दो दोषियों को सात वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में प्रत्येक पर सात-सात हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। इसे अदा न करने पर पांच माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। मामला लालगंज थाना क्षेत्र के पसड़ा गांव का है।
सहायक फौजदारी अधिवक्ता जयगोविंद सिंह ने अदालत को बताया कि पसड़ा गांव निवासी महेश पुत्र शिवमूरत ने लालगंज थाने में तहरीर देकर बताया था कि 22 अप्रैल 1996 की सुबह साढ़े सात बजे गांव के दयाशंकर, हरि लाल, भऊल व मेही लाल ने दरवाजे की खाली जमीन पर रखी ईंट को हटा दिया और वहां कब्जा करने लगे। जब पिता शिवमूरत ने मना किया तो इन लोगों ने उनके पिता को लाठी-डंडे से मारकर घायल कर दिया।
बीचबचाव कर ग्रामीणों से स्थिति संभाल ली। उस समय तो ये लोग चले गए, मगर रात दस बजे फिर से उनके घर आए और मौके पर मिले उनके पिता शिवमूरत को दोबारा पीटा। शोर सुनकर गांव के लोग एकत्रित हो गए और बीचबचाव किया। इस घटना में शिवमूरत को गंभीर चोट आ गई। अस्पताल ले गए तो चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। लालगंज पुलिस ने इस मामले में दयाशंकर, हरि लाल, भऊल व मेंहीलाल पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। चारों के खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दिया।
मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिवमूरत के शरीर में सात गंभीर चोटें पाई गई। 26 वर्ष तक चले इस मुकदमा के विचारण के दौरान भऊल व हरिलाल की मृत्यु हो गई। अदालत ने दयाशंकर व मेही लाल को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।