Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

नये-नये प्रयोग एवं तकनीकों से जनपद के कृषकों को आच्छादित कर करें लाभान्वित: डा0 बिजेन्द्र सिंह

कुलपति डा0 बिजेन्द्र सिंह ने किया कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती का भ्रमण

कबीर बस्ती न्यूज।

बस्ती : आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के कुलपति डा0 बिजेन्द्र सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान कुलपति  ने निर्देशित किया कि एकीकृत कृषि प्रणाली (आई0एफ0एस0) माडल को बढावा दिया जाय तथा मानक के अनुरूप तालाब में मछली पालन एवं उसके चारों तरफ मुर्गी पालन, गाय-भैस पालन, फलदार पौध रोपण, सब्जी उत्पादन, मशरूम इकाई की स्थापना हेतु जनपद के विभागों से सहयोग प्राप्त करें। उन्होने केन्द्राध्यक्ष प्रो0 एस0एन0 सिंह को पाली हाउस एवं नेट हाउस के विस्तार हेतु प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई0सी0ए0आर0) पूसा, नई दिल्ली को प्रेषित करने हेतु निर्देशित किया।
उन्होने कहा कि किसानों एवं वेरोजगार नवयुवकों को कृषिगत व्यवसाय जैसे मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन, मूल्य संवर्धन, गुड के विभिन्न उत्पाद आदि पर लम्बी अवधि के व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान किये जाये। कालानमक धान के बीज उत्पादन कार्यक्रम का अवलोकन कर कुलपति ने प्रसन्नता ब्यक्त की तथा उन्होने अवगत कराया कि पूसा नरेन्द्र कालानमक-1 की सुगन्ध, उत्पादन एवं साफ्टनेस अन्य कालानमक धान की प्रजातियों की अपेक्षा बहुत अच्छी है। कालानमक धान में लगने वाली कुछ बीमारियांे के समाधान हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई0ए0आर0आई0) पूसा, नई दिल्ली के सहयोग से संचालित ट्रायल का भी अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट से अवरोधी लाइनों पर अधिक कार्य करने हेतु निर्देशित किया।
कुलपति ने निर्देशित किया कि रिसोर्स कन्जर्वेसन टेक्नालोजी (आर0सी0टी0) एवं प्राकृतिक खेती पर अत्यधिक ट्रायल आयोजित करके प्राप्त डाटा के आंकलन के उपरान्त प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती का माडल बनाकर कृषकों के प्रक्षेत्र पर तकनीकी प्रदर्शन आयोजित कराया जाय। उन्होने रबी में दलहन एवं तिलहन की उन्नतिशील प्रजातियों का बीज उत्पादन करने तथा सभी वैज्ञानिकांे को अपने मैनडेटरी कार्य के साथ-साथ कम से कम दो नई तकनीकों पर भी कार्य करने हेतु निर्देशित किया। दो वर्षों के ट्रायल के उपरान्त उपयुक्त तकनीक को जनपद के   कृषिगत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उसकी जानकारी प्रदान कर जनपद में विस्तार कराया जाय, जिससे किसानों की आय में दो से तीन गुना की बृद्धि हो सके तथा खेती की लागत को कम किया जा सके। उन्होने निर्देशित किया कि खेती के कार्यों में कृषि यन्त्रीकरण को बढावा देने के उद्देश्य से केन्द्र पर छोटे-छोटे यन्त्र मंगाकर उनका प्रदर्शन किया जाय।
उन्होने पशुपालन विशेषज्ञ डा0 डी0के0 श्रीवास्तव के लोकल मिनी हैचरी का अवलोकन कर प्रसन्नता ब्यक्त की। उद्यान अनुभाग में एक ही पेंड में पूसा नई दिल्ली के आम की नवीनतम् कई प्रजातियों की कलम बॉधकर तैयार किये गये पौधों को देखकर प्रसन्नता ब्यक्त की तथा इस तकनीक को माडल के रूप में जिले के प्रमुख स्थानों एवं कृषकांे के प्रक्षेत्र पर रोपित करके प्रचार-प्रसार करने हेतु निर्देशित किया। कुलपति महोदय ने सोयाबीन एवं मूॅगफली के बीजोत्पादन कार्यक्रम का भी अवलोकन किया। डा0 वी0बी0 सिंह ने कुलपति महोदय को अवगत कराया कि मूॅगफली की प्रजाति टी.जी.- 37ए की वर्ष में दो बार जून-जुलाई तथा फरवरी-मार्च में बुवाई कर अत्यधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। डा0 हरिओम मिश्र ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) लखनऊ के सहयोग से केन्द्र पर कराये जा रहे आर0सी0टी0 तकनीक के अन्तर्गत धान की सीधी बुवाई के ट्रायल की प्रगति से अवगत कराया।
कुलपति ने केन्द्र के समस्त कर्मचारियों को पूर्ण मनायोग से कार्य करने हेतु निर्देशित किया तथा उन्होने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत कृषि विज्ञान केन्द्र, बस्ती की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे नये-नये प्रयोग एवं तकनीकों से जनपद के कृषकों को आच्छादित कर लाभान्वित करें।