Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

सदैव याद किये जायेंगे सरदार वल्लभभाई पटेल- दयाराम चौधरी

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।उ0प्र0।

सदर विधायक दयाराम चौधरी ने भारत रत्न लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयन्ती पर नमन् करते हुये कहा कि उनके अमूल्य योगदान से ही भारत की सीमायेें सुरक्षित हैं और उन्हें विस्तार मिला। सरदार पटेल स्मारक संस्थान में स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुये विधायक दयाराम चौधरी ने कहा कि  उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ वे  स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री व उप प्रधानमंत्री थे।
कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के नाडियाद में सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उन के पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख साधन स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की। सरदार पटेल स्वतंत्रता आंदोलन में पहला प्रमुख योगदान खेड़ा संघर्ष के रूप में सामने आया। जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया। अंत में अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत देनी पड़ी। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
कार्यक्रम में राजकुमार शुक्ल, महेन्द्र पटेल, श्याम भवन चौधरी, लालचंद चौधरी, जगदम्बा चौधरी, राम सुरेश चौधरी, गणेश चौधरी, राजेन्द्र चौधरी, पी.सी. चौधरी, संजय चौधरी आदि शामिल रहे।