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जयंती पर याद किये गये मौलाना अबुल कलाम

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।उ0प्र0।

शिक्षा मंत्री के रूप में देश को कठिन समय में दिशा दिया था मौलाना अबुल कलाम ने-देवेन्द्र श्रीवास्तव
बस्ती । गुरूवार को अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश सचिव डा. वाहिद अली सिद्दीकी के संयोजन में मालवीय रोड स्थित कांग्रेस के प्रदेश सचिव देवेन्द्र श्रीवास्तव के आवास पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पत्रकार, शिक्षाविद और शिक्षा मंत्री के रूप में 11 वर्षो तक योगदान देने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद को उनकी 133 वीं जयंती पर याद किया गया।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव देवेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि अबुल कलाम आजाद 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। एक शिक्षाविद्, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के रूप में कलाम ने भारत की शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलाम कहते थे कि हमारे सपने विचारों में और विचारों का परिणाम कर्मों में होता है। कलाम ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके समृद्ध समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। उनके योगदान को सदैव याद किया जायेगा।
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश सचिव डा. वाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने गांधीजी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन का समर्थन किया और 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश किया। उन्हें दिल्ली में कांग्रेस के विशेष सत्र (1923) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। 35 वर्ष की आयु में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए। मौलाना आजाद को गांधीजी के नमक सत्याग्रह के हिस्से के रूप में नमक कानूनों के उल्लंघन के लिए 1930 में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें डेढ़ साल तक मेरठ जेल में रखा गया था। अपनी रिहाई के बाद, वे 1940 (रामगढ़) में फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1946 तक इस पद पर बने रहे। 1912 में, मौलाना अबुल कलाम आजाद ने मुसलमानों के बीच क्रांतिकारी रंगरूटों को बढ़ाने के लिए उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल शुरू की। अल-हिलाल ने मॉर्ले-मिंटो सुधारों के बाद दो समुदायों के बीच खराब खून के बाद हिंदू-मुस्लिम एकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने देश को आजाद कराने से लेकर नव निर्माण तक में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नई पीढी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिये।

जयन्ती पर अबुल कलाम आजाद को याद करने वालों में अलीम अख्तर, सुरेन्द्र मिश्र, फिरोज खान, अमित सिंह, अनुराग पाण्डेय, विन्दा चौधरी, अवनीश श्रीवास्तव, महेन्द्र श्रीवास्तव, रामू  श्रीवास्तव, अहमद अली, नफीस अहमद, नूर आलम, अजीज अहमद, हामिद अली आदि शामिल रहे।