शरणागत की रक्षा करते हैं श्रीराम
कबीर बस्ती न्यूज:
बस्ती: रावण एक प्रवृत्ति है। उसके अंत के लिये श्रीराम की शरण लेना पड़ता है। जनम-जनम मुनि जतन कराही। अन्त राम कहि आवत नाहीं।। साधारण मनुष्य और परमात्मा में यही अन्तर है कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे तारते भी हैं। श्रीराम अति सहज है। निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। वे शरणागत की रक्षा करते हैं। रावण के अत्याचारों से त्रस्त होकर विभीषण जब श्रीराम के शरण में आये तो उन्होने विभीषण को गले लगा लिया । यह सद् विचार कथा व्यास मार्कण्डेय जी महाराज ने श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ, श्रीराम कथा में व्यासपीठ से कथा को विश्राम देते हुये व्यक्त किया।
श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ संत सम्मेलन पूर्ण होने के अवसर पर 26 जनवरी बुधवार को दिन में 1 बजे से भण्डारे का आयोजन किया गया है। यह जानकारी देते हुये आयोजक धु्रव पाठक ने बताया कि भण्डारे के साथ ही मनोरमा के तट पर कोविड नियमों का पालन करते हुये मेला भी लगेगा।
मुख्य यजमान माता बदल पाठक, सीमा पाठक, गंगाराम चौधरी, गुड्डू तिवारी, शीतला जी गोसाई, रामकेवल यादव, राजेन्द्र यादव, अनिल पाठक, रामनिहोर चौधरी, शुभम पाठक, बब्बू तिवारी, विनोद पाण्डेय, धीरेन्द्र पाठक, विकास मिश्रा, हीरा दास, गुरु चरण, दामोदर, राम मिलन, बाबा जय प्रकाश दास, भोला यादव, विद्या मिश्रा, सीमा पाठक, माता बदल पाठक, मुकेश पाण्डेय, आदर्श पाठक, जितेन्द्र पाठक, अनमोल पाठक, शशांक पाठक, विकास मिश्रा, उर्मिला तिवारी, इंद्रमति शुक्ला, शशांक पाठक, आदर्श पाठक सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता कोविड नियमों का पालन करते हुये उपस्थित रहे।