ईश्वरीय चेतना का सरलीकरण ही अवतार – राधेश्याम शास्त्री
श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु
कबीर बस्ती न्यूज:
बस्ती। अवतार के तीन भेद किए गए हैं जन्म, समागम और प्राकट्य। शरीर का जन्म होता है, आत्मा और शरीर का समागम होता है, ईश्वर का केवल प्राकट्य होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। यह सद्विचार कथा व्यास श्री राधेश्याम शास्त्री जी ने हर्रैया विकासखण्ड के तिनौता गाँव में रविवार को श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन व्यक्त किया।
कथा में पहुंचे हरैया विधायक अजय सिंह ने पोथी पूजा व आरती किया। विधायक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन बहुत ही पुनीत कार्य है इससे बड़ा पुण्य का कार्य कुछ नही है।
शास्त्री जी ने कहा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा के दौरान शास्त्री जी ने तमाम गीतों के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्म का वर्णन किया और साथ ही निकाली गई झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया सभी श्रद्धालु झूम उठे।
इस दौरान राम प्रसाद ओझा, राम समुज ओझा,इन्द्रा ओझा, अम्बिका ओझा, माधव ओझा, श्री नाथ मिश्र, सुतीक्ष्ण मिश्र, राम नेवाज मिश्र, शिव दत्त मिश्र, हरी राम ओझा,अनूप मिश्र राधेश्याम मिश्र, देवेन्द्र नाथ मिश्र, धीरेंद्र नाथ मिश्र, सुरेंद्र नाथ मिश्र,अनिल मिश्र, अशोक मिश्र,जगदीश ओझा, जमुना प्रसाद मिश्र, बालकृष्ण मिश्र, कल्पनाथ ओझा, विपिन ओझा सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।