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प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा को लग चुका है कोविड-19 का टीका

– वेबिनॉर में राज्य टीकाकरण अधिकारी ने दी जानकारी
– ट्रिपल टी नीति के साथ अस्पतालों में बेड बढ़ाने की बताई गई जरूरत
बस्ती। उत्तर प्रदेश में ‘कोरोना टीकाकरण अवसर और चुनौतियां’ विषय पर वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। विशेषज्ञों ने टीकाकरण केंद्रों पर भीड़-भाड़ से बचने के लिए कोविन पोर्टल पर प्री रजिस्ट्रेशन कराकर ही टीका लगवाने के लिए जाने की अपील की।
राज्य के टीकाकरण अधिकारी डॉ. अजय घई ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड का टीका लगाया जा चुका है। सिर्फ प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही प्रति दिन 15 से 20 हजार टीके लगाए जा रहे थे। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग का ध्यान कोरोना नियंत्रण और प्रबंधन पर बढ़ गया है। रुटीन टीकाकरण के महा प्रबंधक डॉ. मनोज कुमार शुक्ल ने कहा कि ‘टीका उत्सव’ के दौरान 11 से 13 अप्रैल के बीच प्रदेश में 14,55,900 लोगों को टीका लगाया गया है। वेबिनार का आयोजन ‘प्रोजेक्ट संचार’ और हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ- इंडिया रिसर्च सेंटर की ओर से किया गया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं से जुड़े लोगों, मीडिया कर्मियों ने प्रतिभाग किया।
टीकों को लेकर अब नहीं हिचहिचाहट
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बाल बाल रोग विभाग की प्रोफेसर जेबा जकाउर्रब ने कहा कि जब टीकाकरण शुरू हुआ था उस समय बहुत से स्वास्थ्यकर्मी भी इसको लेकर आशंकित थे। लेकिन जब कोरोना से होने वाली गंभीर समस्याओं को दूर करने में इसका प्रभाव दिखाई देने लगा तो टीकों को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखा जाने लगा है। कोरोना संक्रमण से लड़ने में अब यह सर्वाधिक अहम साधन के रूप में देखा जा रहा है।
बूस्टर डोज की जरूरत पर शोध जारी
केजीएमयू, लखनऊ में माइक्रोबॉयलोजी की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमिता जैन ने कहा कि कुछ टीकों के मामलों में बूस्टर डोज बहुत महत्वपूर्ण होती है। इससे टीके का प्रभाव लंबे समय तक सुनिश्चित हो पाता है। मीजल्स के मामले में जहां बूस्टर डोज की जरूरत नहीं होती, वहीं टेटनस के मामले में 10 साल के बाद एक बूस्टर डोज बेहद उपयोगी होती है। कोविड-19 नया वॉयरस है और अभी इस टीके के दुनिया भर में दो डोज ही दिए जा रहे हैं, लेकिन भविष्य में इसकी बूस्टर डोज की जरूरत हो सकती है।
जिस तरह कोरोना के संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है टेस्ट, ट्रेस एंड ट्रीट’  की पुरानी नीति फिलहाल बहुत कारगर नहीं होगी। कांटेक्ट ट्रेसिंग बहुत कठिन होती है। सरकार को अस्पताल में बेड और इलाज की सुविधा बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।