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प्रत्येक बुधवार और शनिवार को अंग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं के सहयोग से होता है आयोजन

वीएचएसएनडी ने आसान की स्वास्थ्य व सुपोषण की राह

अब छाया वीएचएसएनडी नाम से जाने जाते हैं वीएचएसएनडी सत्र

गोरखपुर: ग्रामीण क्षेत्रों में हर बुधवार और शनिवार को आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताऔर एएनएम की मदद से छाया ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) सत्र आयोजित किये जा रहे हैं । पहले इन्हें केवल वीएचएसएनडी सत्र के तौर पर जाना जाता था। शहरी क्षेत्र में इन्हें यूएचएसएनडी नाम से आयोजित किया जाता है । इन सत्रों के जरिये लाभार्थियों के स्वास्थ्य और सुपोषण की राह को आसान बनाया जा रहा है ।

महानगर के अलवापुर बुलाकीपुर की रहने वाली 35 वर्षीया स्वाति दयाल का कहना है कि आज अगर वह स्वस्थ हैं और उनका बच्चा सुपोषित है तो उसमें सत्र की सबसे बड़ी भूमिका  है। उनकी शादी दिसम्बर 2019 में हुई। शादी के पहले कभी भी ऐसे सत्र में नहीं जाना हुआ । जब वह गर्भवती हुईं तो आशा कार्यकर्ता मधु और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्नेहलता ने उन्हें जाफरा बाजार हेल्थ पोस्ट पर आयोजित सत्र में जाने के लिए प्रेरित किया । वह बताती हैं कि सत्र स्थल पर पीएसआई इंडिया संस्था की मदद से उनकी गोदभराई की गई और फल, मूंगफली का दाना, चना आदि पोषक सामग्री दी गयी। उन्हें गर्भावस्था में हरी साग, सब्जी, ताजा फल और पर्याप्त आहार लेने के लिए बताया गया । उनके पति पेशे से वाहन चालक हैं । पति और परिवार ने उनके खानपान का ध्यान रखा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने भी उन्हें पोषाहार दिये।

स्वाति बताती हैं कि वह तीन बार सत्र में प्रतिभाग कीं । उनके वजन, ऊंचाई, ब्लड, यूरिन की जांच की गयी और गर्भावस्था में टिटनेस डिप्थीरिया (टीडी) का टीका भी लगाया गया । आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां निःशुल्क दी गयीं । संस्थागत प्रसव के लिए लगातार प्रेरित किया गया और यही वजह है कि उन्होंने सदर अस्पताल में प्रसव करवाया। उनका बच्चा 10 महीने का है और पूरी तरह से स्वस्थ है । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बच्चे के पोषण स्तर की भी सत्र पर जाकर जांच करवाई। बच्चे को भी समय-समय पर ले जाकर टीका लगवाया जा रहा है । सत्र काफी लाभकारी है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीए) की मुख्य सेविका सुनीता शुक्ला बताती हैं कि गर्भवती, धात्री माताएं, शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चे, 10 से 19 वर्ष तक के किशोर-किशोरी और 15 से 49 वर्ष की विवाहित महिलाएं (योग्य दम्पत्ति) ही छाया वीएचएसएनडी और यूएचएसएनडी के लाभार्थी होते हैं । आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन लाभार्थी समूह को सत्र स्थल तक लेकर जाती हैं। शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की निगरानी में सत्र स्थलों पर पोषाहार से बने व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।

16238 सत्र हुए

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ड्रिस्ट्रिक्ट डेटा मैनेजर पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि अप्रैल 2022 से जून 2022 तक कुल 16250 सत्र होने थे जिसमें से अब तक 16238 सत्र आयोजित किये गये । इन सत्रों में 44953 गर्भवती का पंजीकरण कर सेवा दी गयी और 28197 बच्चों का नियमित टीकाकरण किया गया।

यह सुविधाएं मिलती हैं

• योग्य दम्पति को परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरणा और साधनों का वितरण
• गर्भवती का शीघ्र पंजीकरण, प्रसव पूर्व जांच, जटिलता की पहचान व संदर्भन, आईएफए एवं कैल्शियम की गोलियों का वितरण
• धात्री माताओं को आईएफए एवं कैल्शियम की गोलियों का वितरण, प्रसव पश्चात जटिलता पर संदर्भन
• शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का जन्म पंजीकरण, टीकाकरण, सैम बच्चों की पहचान व प्रबंधन, डायरिया व निमोनिया से बचाव के लिए ओआरएस एवं जिंक का वितरण
• किशोर-किशोरियों को शारीरिक परिवर्तनों, मैंस्ट्रूअल हाईजिन एवं पोषण की जानकारी, आईएफए एवं एल्बेंडाजोल गोलियों का वितरण

पोषण पर विशेष जोर

किशोरावस्था से लेकर गर्भावस्था व बाल्यावस्था के पोषण पर छाया वीएचएसएनडी में विशेष जोर दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश है कि आशा कार्यकर्ता का सहयोग करते हुए पात्र लाभार्थियों को सत्र तक लाएं और उन्हें लाभ दिलाएं। पोषण स्तर का विशेष ध्यान रखें और सभी आवश्यक कदम उठाएं।