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जयंती पर याद किये गये क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला खां

कबीर बस्ती न्यूजः

बस्ती। शनिवार को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले अशफाक उल्ला खां को जयंती पर याद किया गया। कबीर साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष मो. सामईन फारूकी द्वारा कलेक्टेªट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बी.के. मिश्र ने कहा कि अशफाक उल्ला खां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे और  स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।
वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’  ने कहा कि अशफाक की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण है। चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय किया तो अशफाक उल्ला खां भी बहुत दुखी हुये। उन्होने अंग्रेजों को जल्द से जल्द भारत से निकालने का प्रण करते हुए अन्य क्रांतिकारियों से साथ मिलकर भारत माता को स्वतंत्रत कराने का बीड़ा उठाया। राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया।
संचालन करते हुये डा. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि अशफाक उल्ला खां ने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को काकोरी में लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटकर भारत के वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों के समक्ष कड़ा प्रतिकार प्रस्तुत किया। उन्हे ट्रेन को लूटने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया और अंग्रेजी सरकार द्वारा उन्हे फांसी पर लटका दिया गया। नीरज कुमार वर्मा नीर ‘प्रिय’ ने कहा कि अशफाक उल्ला खां हमेशा-हमेशा के लिए अमर हैं और भारत माता के अमर सपूत के रूप में आज भी प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणादायी हैं।
अशफाक उल्ला खां को जयंती पर याद करने वालों में मुख्य रूप से दशरथ प्रसाद यादव, बाबूराम वर्मा, चन्द्रमोहन श्रीवास्तव, अनुरोध श्रीवास्तव, अजमत अली सिद्दीकी, असद बस्तवी, डा. वाहिद सिद्दीकी, पेशकार मिश्र, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद ‘शाद’, दीनानाथ यादव, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव के साथ ही अनेक लोग उपस्थित रहे।