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धन्वंतरि जयंती आयुर्वेद दिवस पर गोष्ठी में विमर्श

सदैव बनी रहेगी आर्युवेद की महत्ता- संजय चौधरी

धनतेरस पर्व  से जुडा है आयुर्वेद का महत्व- डा. राजेश प्रजापति

स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी -डा. वी.के. वर्मा

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।उ0प्र0।

मंगलवार को पटेल एस.एम.एच. हास्पिटल गोटवा में आयुष नोडल अधिकारी डा. वी.के. वर्मा के संयोजन में  धन्वंतरि जयंती के अवसर पर आयुर्वेद दिवस मनाया गया।
मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि जब इंसान को दवाओं की समझ नहीं थी तब रोगों का उपचार आयुर्वेद के माध्यम से ही किया जाता था और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है इसलिए इसकी महत्ता सदैव बनी रहेगी। अब तो निरन्तर शोध के द्वारा आवुर्वेद ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
अध्यक्षता करते हुये मुख्य विकास अधिकारी डा. राजेश प्रजापति ने कहा कि  राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धनतेरस के दिन मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरि के हाथों में कलश था। इसी वजह से दिवाली के दो दिन पहले भगवान धन्वंतरी के जन्मदिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आयुर्वेद के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन यानी धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। जो सेहतमंद रखने का उपयुक्त माध्यम है।
विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय आर्युवेदिक अधिकारी डा. बी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा से हुई ऐसा माना जाता है। आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत और भी कई दूसरे महत्वपूर्ण पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है।
आयुष नोडल अधिकारी डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है। आयुर्वेद में सभी प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती को  हम धनतेरस के रूप मे मनाते है ।  भगवान धनवंतरी ने आयुर्वेद को आठ अंगों में बांट कर समस्त रोगों की चिकित्सा पद्धति विकसित की।
आभार ज्ञापन करते हुये डा. आलोक रंजन ने कहा कि धन्वंतरि प्राचीन भारत के एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ था । पौराणिक व धार्मिक मान्यतानुसार भगवान विष्णु के अवतार समझे जाने वाले धन्वन्तरी का पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था।
इस अवसर पर सेवा के क्षेत्र में योगदान देने वाली विभूतियों को पटेल एस.एम.एच. हास्पिटल गोटवा की ओर से सम्मानित किया गया। संचालन करते हुये डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने  धन्वंतरि के योगदान पर प्रकाश डाला।
मुख्य रूप से डा. पवन गुप्ता, डा. आर.एन. चौधरी, डा. चन्दा सिंह, राजकुमार गुप्ता, सर्वेश श्रीवास्तव, लवकुश यादव, अरूणेश श्रीवास्तव,  मनोज मिश्रा, बी.बी. श्रीवास्तव, राकेश कुमार मिश्रा, विश्वनाथ मिश्रा, वीरेन्द्र चौधरी, शिव प्रसाद, अमरेश चौधरी, जय प्रकाश गोस्वामी, अनीता वर्मा, जया उपाध्याय, आराधना पाण्डेय, सविता वर्मा,  श्याम किशोर दूबे, जगनरायन वर्मा, रबीश कुमार चौधरी, महेन्द्र कुमार, लालजी यादव अंशिका गुप्ता, अनीता वर्मा, धर्मेन्द्र, सोहनलाल, अंकुर पाण्डेय, उत्कर्ष दूबे, राम प्रकाश तिवारी आदि शामिल रहे। गौतम बुद्ध मुराली देवी बालिका इण्टर कालेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों ने धन्वंतरि के चित्र पर मार्ल्यापण कर उन्हें नमन किया।