Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
स्वास्थ्य सेवाओं मे उत्कृष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किये गये डा0 अजय कुमार चौधरी बिना पीएनडीटी के जी.सी.अल्ट्रासाउंड सेन्टर संचालक चला रहा है स्वास्थ्य विभाग के सीने पर हथौडा अहिल्याबाई होलकर के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जीवन्त कर रहे हैं मोदी, योगी-डॉ. रमापति राम त्रिपाठी योजनाओं एवं चिकित्सीय सुविधाओं के संबंध में गुणात्मक सुधार लायें  अधिकारी- मण्डलायुक्त शिकायतों पर आकृति डायग्नोस्टिक सेन्टर सील, संचालक को थमाया नोटिश, हडकम्प रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण शुरू होने पर प्रसन्नताः व्यापारियों ने बांटी मिठाई महिला उत्पीड़न से सम्बन्धित मामलों की आयोग की सदस्या ने की सुनवाई एंटी रैबीज सीरम लगाये जाने को लेकर मण्डलीय कार्यशाला सम्पन्न विश्व हिन्दू महासंघ ने सौंपा ज्ञापन, गोहत्यारों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग एक देश एक चुनाव’ पर प्रबुद्ध समागम में चर्चा

योगी सरकार दंगाइयों पर हुई और सख्त,विधानसभा में पास हुआ निजी संपत्ति क्षति वसूली संशोधन विधेयक

कबीर बस्ती न्यूजः
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार दंगाइयों से और सख्ती से निपटेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 शुक्रवार को विधानमंडल में पारित हो गया। अब इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जिसके बाद नया कानून लागू होगा। इस कानून में दंगों से किसी की मौत पर उसके आश्रितों को न्यूनतम पांच लाख रुपये मुआवजे का भुगतान भी किया जाएगा।
दंगाइयों से क्षतिपूर्ति के लिए और सख्त कानून जल्द अस्तित्व में आ जाएगा। यूपी सरकार ने सरकारी तथा निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति का दायरा बढ़ाने के साथ किसी हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वालों तथा गंभीर रूप से घायल होने वाले पीड़ितों के लिए मुआवजे की न्यूनतम राशि का भी प्रविधान किया है।
राज्य सरकार ने मूल अधिनियम की धारा-19 में संशोधन करते हुए हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर न्यूनतम पांच लाख रुपये तथा स्थायी दिव्यांगता होने पर न्यूनतम एक लाख रुपये मुआवजा प्रदान कराए जाने की व्यवस्था की है।
पूर्व में दावा प्राधिकरण के समक्ष तीन माह के भीतर मुआवजे के लिए आवेदन करने की व्यवस्था थी, जिसकी अवधि बढ़ा दी गई है। अब तीन वर्ष के भीतर दावा प्रस्तुत किया जा सकेगा। दावा प्राधिकरण को दावा याचिका दाखिल करने में विलंब को माफ करने का अधिकार भी होगा। किसी प्रदर्शन अथवा धरने के दौरान उपद्रव होने की स्थिति में संबंधित कार्यक्रम के आयोजकों को भी आरोपित बनाया जाएगा।
नए कानून के तहत किसी हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान आम लोगों को होने वाले नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी। अब कोई भी याचिका में दावेदार हो सकता है। साथ ही पूर्व से चल रहे दावों की सुनवाई जारी रहेगी। दावा प्राधिकरण किसी मामले का स्वत: संज्ञान भी ले सकेगा।