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कारागार वाली समया माता मन्दिर का हुआ जीर्णोद्वार

अपने भक्तों की मन की मुरादें पूरा करती हैं समया माता

आज दिव्य एवं भव्य स्वरूप मे दर्शन देती हैं समया माता

जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी एवं जेल प्रभारी जेल अधीक्षक कमलेष चन्द्र के हाथों हुआ मन्दिर का उद्वार

पुजारी बाबा के मृत्यु के राज से नही उठ सका पर्दा

कबीर बस्ती न्यूजः

दिनेश मिश्र / चित्रसेन पाण्डेय

बस्ती। मण्डल मुख्यालय पर स्थित जिला कारागार मे सैकडों पूर्व स्थापित समया माता का एक मन्दिर जो वर्षों से जीर्णर्षीण एवं उपेक्षित था। इस मन्दिर का एक अलग एवं आलोकिक इतिहास रहा है। यह वही समया माता मन्दिर है जिसके आगे अंग्रेज अधिकारियों को घुटने टेकने पडे थे। समया माता के छोटी सी मूर्ति जेल निर्माण के बहुत पहले भूवर निरंजनपुर तथा आसपास के गांवों के लोगों ने किया था और पूजा-पाठ किया करते थे।

1888 मे प्रारम्भ हुआ जेल का निर्माण

वर्ष 1888 मे जिला करागार का निर्माण भूवर मे अंग्रेजों के जमाने मे प्रारम्भ हुआ। कारागार के अन्तिम दीवार का निर्माण होते समय समया माता की मूर्ति बीच मे आ जाने के कारण अंग्रेज अधिकारियों ने मूर्ति को वहां से हटा कर पास के स्थान पर रख दिया था। फिर बडी चाहरदीवारी का निर्माण किया गया। लेकिन यह क्या….बडी दीवार फट गयी। उसे ठीक करने के लिए अंग्रेजों ने बडे जुगत लगाये लेकिन दैवीय शक्ति के सामने उनको मुंह को खानी पडी। यह दीवार आज भी फटा हुआ है। हलांकि इस दीवार के फटने से जेल के सुरक्षा को कोई खतरा नही है। फिर गांव वालों ने चाहरदीवारी के बाहर समया माता की मूर्ति रख कर पूजा पाठ करने लगे। स्थापित समया माता का एक मन्दिर जो वर्षों से जीर्णर्षीण एवं उपेक्षित रहा।

7 जुलाई 2019 मे बस्ती करागार का जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी ने संभाला कार्यभार-

7 जुलाई 2019 मे बस्ती जिला करागार का जेलर के रूप मे चार्ज संभालने के बाद सतीष चन्द्र त्रिपाठी का ध्यान समया माता मन्दिर के  प्रति आकर्षित हुआ। उन्होने प्रण किया कि वे समया माता मन्दिर के जीर्णाद्वार हेतु हर संभव प्रयास करेंगे। जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि जब हतने यहां का चार्ज संभाला समया माता मन्दिर की हालत बडी खराब एवं और घास-फूस के आगोस मे थी। उन्होने बताया कि जन सहयोग से इकठ्ठे किये गये चन्दे से समया माता मन्दिर का निर्धारित स्थान पर ही दिव्य एवं भव्य मनमोहक मन्दिर का निर्माण कराया गया। रात्रि मे भी पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था की गयी। उन्होने बताया कि विभिन्न मामलों मे कारागार मे निरूद्व बन्दियों का मन्दिर निर्माण मे सहानीय योगदान रहा। बन्दियों ने मन्दिर निर्माण मे जो डिजाइन दिया वह हर किसी को अपने तरफ आकर्षित करता है। इस कार्य मे लगे बन्दी भी समया माता का पूजन-अर्चन किया करते थे। जिसका परिणाम यह रहा संगीन मामले उन पर होते हुए भी रिहा होने मे सफल रहे। श्री त्रिपाठी बताते हैं कि दोनो समय सुबह एवं षाम माता के दरबार मे दीपक धूप जलाया तथा पूजा पाठ किया जाता है। इस कार्य मे किसी प्रकार की कोई लापरवाही नही होती है। उन्होने बताया कि समया माता के आर्षीवाद से जेल की अमन षन्ति व सुरक्षा पर माता की विषेश कृपा होती है।

यह पुजारी बाबा कौन हैं-

बताया जाता है कि एक पुजारी बाबा जिनका नाम और पता अज्ञात है और वे 1942 मे एक राजनैतिक मामले मे जिला जिला कारागार मे निरूद्व किये गये थे। पुजारी बाबा को उस समय राजनैतिक बैरक मे रखा गया था। पुजारी बाबा राजनैतिक बैरक मे रह कर समया माता का पूजा-पाठ व सेवा किया करते थे। पुजारी बाबा ने यह प्रण कर लिया था कि जब तक भारत आजाद नही होगा वे अन्न जल त्याग देंगे। समया माता का सेवा करते उन्हें लोग पुजारी बाबा के नाम से पुकारने लगे थे। बताया जाता है कि पुजारी बाबा समया माता के अनन्य भक्त थे और वे माता की सेवा मे लीन रहते थे। जेलर श्री त्रिपाठी बताते हैं कि पुजारी बाबा की मृत्यु कब और कैसे हुई यह रहस्य बना हुआ है। उन्होने बताया कि पुजारी बाबा जिस ओटे पर सोते थे उसे टायल्स से सुसज्जित कर उनकी मूर्ति स्थापित की गयी है उनका भी पूजा पाठ दोनो समय किया जाता है और उनकी एक काल्पनिक मूर्ति समया माता के स्थान पर स्थापित है।

समया माता मन्दिर स्थान का जीर्णोद्वार

जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी की इच्छा शक्ति ने वह कर दिखाया जो कोई आज तक नही कर सका। उन्होंने जेल के प्रवेष द्वार से समया माता मन्दिर तक सीसी रोड, दोनों तरफ फूल के सुन्दर-सुन्दर पौधे जो अपने तरफ आकर्षित करते हैं। वहां की छठा व दृष्य ऐसा है जो हर किसी का मन मोह ले। सुन्दरीकरण मे बिल्कुल अत्याधुनिक सौंदर्य से सुशोभित किया गया है। जो कबीले तारीफ है।

प्रत्येक सोमवार को होता है भजन-कीर्तन, बन्दी लेते हैं बढ चढकर भाग

जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि हर सोमवार को समया माता के मन्दिर मे बडी संख्या मे पुरूष व महिला बन्दी पूजन अर्चन करने आते है। भजन कीर्तन का भी भय आयोजन किया जाता है। जिस बन्दी की इच्छा माता के दर्षन की होती है उसे अनुमति प्रदान की जाती है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था का विषेश ख्याल रखा जाता है।

रचनात्मक कार्यों के लिए सदैव याद किये जायेंगे सतीष चन्द्र त्रिपाठी

जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी का बस्ती जनपद का कार्यकाल और उनकी इच्छा शक्ति तथा समया माता के प्रति आसीम भक्ति भावना तथा उनके रचनात्मक कार्यों के लिए लोग सदैव उन्हें याद करेंगे।

क्या कहते हैं प्रभारी जेल अधीक्षक

इस सम्बन्ध मे अपर जिलाधिकारी एवं प्रभारी जेल अधीक्षक कमलेश चन्द्र ने जेलर सतीष चन्द्र त्रिपाठी के सराहनीय कार्यों की सराहना करते हुए बताते हैं कि अभी बन्दियों के उत्थान के दिशा मे अनेक कदम उछाये जायेंगे। इस सम्बन्ध मे प्रयास जारी है। शीघ्र ही प्रस्तावों पर कार्य प्रारम्भ हो जायेगा।